सुमित्रा के पश्चात अनुसूइया जी ने दुर्गा का नाम पुकारा । दुर्गा शान से उठकर आई और अपनी कहानी सुनाने लगी ।
वह पुलिस इंस्पेक्टर थी । शहर के कई थानों में उसकी पोस्टिंग हो चुकी थी । अपराधियों के प्रति उसके मन में कोई दया नहीं थी । जो अपराधी निर्दोष लोगों की हत्या करें , मासूम बच्चियों के साथ दुष्कर्म कर उनका गला घोंट दें, उनके साथ नर्म रुख क्यों अपनाया जाना चाहिए ? इसी सोच के साथ काम करती थी वह । उसके सामने अच्छे अच्छे अपराधी थर थर कांपते थे । जो अपराधी किसी के सामने मुंह नहीं खोलता था वह दुर्गा के सामने नॉन स्टॉप बोलने लगता था ।
पुलिस विभाग में उसकी ख्याति ऊपर तक पहुंच गई थी । उसे एनकाउंटर करने का विशेष प्रशिक्षण दिलाया गया था । थोड़े ही दिनों में उसका निशाना अचूक बन गया था । वह हर किसी पोज में सही निशाना लगा देती थी । एनकाउंटर स्पेशलिस्ट के रूप में उसकी पहचान बन चुकी थी ।
उन दिनों देश में आए दिन आतंकी हमले हो रहे थे । रोजाना कहीं न कहीं से बम फूटने के समाचार आते थे जिनमें सैकड़ों निर्दोष व्यक्तियों की जान जाती थी हजारों घायल हो जाते थे । औरतें विधवा हो जाती थी और बच्चे अनाथ हो जाया करते थे । हद तो तब हो गई जब एक दिन आतंकवादियों ने एक स्कूल बस को बम से उड़ा दिया । बस में सवार 38 बच्चे जिंदा जल गये थे । बस का ड्राइवर आतंकवादियों से मिल गया था । घटना वाले दिन से ही वह ड्राइवर फरार चल रहा था ।
उस केस की जांच इंस्पेक्टर दुर्गा को दी गई थी । आतंकवादियों का पता लगाना बहुत ही चुनौतीपूर्ण कार्य था । किसी भी आतंकवादी संगठन ने इसकी जिम्मेदारी नहीं ली थी इसलिए यह ज्ञात नहीं हो रहा था कि इस घटना के पीछे कौन कौन विकृत मानसिकता वाले लोग थे ।
घटना का सूत्रधार स्कूल वैन का ड्राइवर नाजिम हो सकता था । इसलिए उसे पकड़ना आवश्यक था । दुर्गा ने उसके पीछे अपने मुखबिर लगा दिये और उसके सारे घरवालों के फोन रिकॉर्डिंग पर लगा दिये थे । अंतत : उसे सूचना मिली कि नाजिम जुमे की नमाज पढने "फलां" मस्जिद में जाने वाला है । दुर्गा ने अपने चुनिंदा पुलिस वाले सादा वेश में वहां तैनात कर दिये । नाजिम बेखौफ वहां आया और धर लिया गया । बहुत सारे लोगों ने इस गिरफ्तारी के विरुद्ध हिंसा की मगर दुर्गा इसके लिए पहले से ही तैयार थी और उसने शक्ति प्रदर्शन करते हुए नाजिम को अपनी गाड़ी में बैठा लिया और थाने ले आई ।
नाजिम से पूछताछ की गई तो उसने सारा भेद खोल दिया । घटना में चार आतंकवादी शामिल थे । रिजवान, इलियास , आफरीदी और शोएब । दुर्गा ने एक एक करके सबको गिरफ्तार कर लिया । इन चारों आतंकवादियों ने अब तक करीब दस वारदातों को अंजाम दिया था जिनमें हजारों लोग मारे गये थे । दुर्गा ने इन सबके खिलाफ कोर्ट में चालान पेश कर दिया । जमानत के लिए ये पांचों अपराधी सीधे सुप्रीम कोर्ट चले गये और वहां पर इन्होंने देश के जाने माने दस वकील किये जो एक दिन की पैरवी के दस लाख रुपए हर वकील लेता था । शायद इनकी फंडिंग पी एफ आई जैसा कोई संगठन करता था । उन वकीलों की बड़ी ताकत थी और उन्होंने उन पांचों को जमानत दिलवा दी । इससे सभी पुलिस वाले बहुत हतोत्साहित हुये थे ।
कुछ दिनों बाद शहर के सबसे व्यस्त बाजार में एक के बाद एक कई विस्फोट हुये जिनमें 527 लोग मारे गए । वहां पर पर्चे बिखराये गये थे जिन पर लिखा था "हमसे पंगा लेने का अंजाम , हिन्दुस्तान बनेगा श्मशान" । दुर्गा को समझ में आ गया था कि यह काम उन्हीं पांचों आतंकवादियों का है ।
अब उसने एक योजना बनाई । इन्हें गिरफ्तार करने का कोई औचित्य नहीं था क्योंकि किसी न किसी कोर्ट से इन्हें जमानत मिल ही जाती । पैसों की खातिर लोग देश को श्मशान बनाने पर तुले हुये थे । ऐसे राक्षसों का नाश होना ही चाहिए । यह काम कोई दुर्गा ही कर सकती थी । दुर्गा ने अपनी शक्ति का जलवा इन दरिंदों को दिखलाने का संकल्प कर लिया था ।
एक एक कर उन पांचों आतंकवादियों को पकड़ा गया और उन्हें मौका दिखाने के लिये उस स्थान पर ले जाया गया जहां पर बम विस्फोट हुआ था । मौके पर जब घटना का नक्शा बनाया जा रहा था तब एक आतंकवादी ने दुर्गा का रिवॉल्वर छीन कर दुर्गा पर गोली चला दी मगर दुर्गा ने उस रिवॉल्वर से पहले ही गोलियां निकाल ली थीं । इतने में दूसरे पुलिस वालों ने उन पांचों को वहीं ढेर कर दिया ।
जनता ने दुर्गा और उसकी टीम का सार्वजनिक अभिनंदन किया । देश में हर व्यक्ति दुर्गा पर फख्र कर रहा था । पर देश में ही कुछ लिब्रांडुओं को दुर्गा जैसे अधिकारी पसंद नहीं आते हैं । ऐसे लिब्रांडु आत॔कियों के पैरोकार होते हैं । वही दस वकील सुप्रीम कोर्ट में खड़े हो गये जो आतंकवादियों को मासूम बच्चे, भटके हुए नौजवान बताते थे । उन्होंने एक फर्जी कहानी सुप्रीम कोर्ट को सुनाई और उस एनकाउंटर को फेक बता दिया । सुप्रीम कोर्ट ने उस टीम को गिरफ्तार कर मुकदमा चलाने का आदेश सुना दिया । दुर्गा को आज तक जमानत नहीं दी जबकि आतंकवादियों की जमानत तुरंत हो गई थी । दुर्गा और उसकी टीम अभी तक जेल में बंद है । मगर दुर्गा को अपने कृत्य पर गर्व है और वह कहती है कि वह जब भी जेल से बाहर आयेगी सारे आतंकवादियों को 72 हूरों के पास भिजवा कर ही दम लेगी । लोग दुर्गा की पूजा इसीलिए तो करते हैं ।
सिया ने खड़े हीकर कहा "हमें फख्र है दुर्गा जैसी जांबाज सिंहनियों पर" ।
सबने मिलकर एक साथ नारा लगाया
दुर्गा जैसी सिंहनी
हर घर में हो, घर घर में हो
श्री हरि
25.10.22
Abeer
27-Oct-2022 10:17 PM
Very nice 👌
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Gunjan Kamal
25-Oct-2022 09:42 PM
👏👌
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Reena yadav
25-Oct-2022 06:44 PM
👍👍🌺
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